अमेठी। करीब दो वर्ष पूर्व वाह्य प्रसाधन मुक्त (ओडीएफ) घोषित जिले में 25 हजार से अधिक परिवार अब भी प्रसाधन विहीन हैं। यह चाैंकाने वाला आंकड़ा पंचायती राज विभाग की स्वच्छता टीम द्वारा किए गए नए सर्वे के बाद सामने आया है। स्वच्छता टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद डीपीआरओ ने चिन्हित परिवारों के यहां प्रसाधन निर्माण की स्वीकृति देते हुए एडीओ पंचायत को पत्र जारी कर चयनित परिवारों की जियो टैगिंग का कार्य अविलंब पूरा करने को कहा है।
अमेठी को करीब दो वर्ष पूर्व वाह्य प्रसाधन मुक्त घोषित किया गया था। ओडीएफ घोषित होते समय बताया गया था कि जिले के सभी परिवार प्रसाधन संपन्न हो गए हैं और कोई भी व्यक्ति शौच के लिए बाहर नहीं जाता। हालांकि कुछ ही दिनों में यह दावे ध्वस्त नजर आने लगे थे। इस बीच लगातार उठ रही प्रसाधन की मांग पर जिला पंचायती राज विभाग ने स्वच्छता टीम द्वारा जिले के सभी 13 ब्लॉकों में प्रसाधन विहीन परिवारों की संख्या जानने के लिए सर्वे करवाया तो चाैंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
स्वच्छता टीम के आंकड़ों में बताया गया कि जिले में 25,419 परिवार अब भी प्रसाधन विहीन हैं। स्वच्छता टीम के यह आंकड़े डीपीआरओ कार्यालय को मिले तो हड़कंप मच गया। आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद डीपीआरओ देवेंद्र सिंह ने सभी परिवारों को प्रसाधन के लिए पात्र घोषित करते हुए ब्लॉकों के एडीओ पंचायत को पत्र लिखा है। जारी पत्र में प्रसाधन विहीन परिवारों के प्रसाधन स्थलों की जियो टैगिंग करते हुए अति शीघ्र निर्माण शुरू कराने का निर्देश दिया गया है।
छूटे परिवारों में चिन्हित थे 77 हजार परिवार
पंचायतीराज विभाग में दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो बेस लाइन सर्वे में 21,04,974 परिवारों को प्रसाधन मुहैया कराने के बाद जिले को ओडीएफ घोषित किया गया था। इसके बाद शासन के निर्देश पर छूटे परिवारों को प्रसाधन मुहैया कराने के लिए कराए गए सर्वे में 77 हजार 294 परिवारों को चयनित करते हुए प्रसाधन भवन का निर्माण कराया जा चुका है।
बड़ी संख्या में बाहर जाते लोग
जिले के गांवों की तो बात दूर, बड़ी संख्या में चार नगरीय क्षेत्र के लोग अब भी प्रसाधन के लिए खेतों और मैदानों का रुख करते हैं। कई गांवों और मोहल्लों की स्थिति यह है कि वहां से गुजरने वाली सड़कों पर नाक बंद किए बिना एक कदम नहीं चला जा सकता।
बनने के बावजूद नहीं हो रहा प्रयोग
जिले में पूर्व में बड़ी संख्या में प्रसाधन बनवाए गए। आलम यह रहा कि कई घरों में तो दो-दो प्रसाधन बनवाए गए। हालांकि प्रसाधन बनवाने वाले लोगों में से अधिकांश ऐसे हैं जो प्रसाधन भवन का उपयोग स्टोर रूम के रूप में करते हैं।